Thursday, February 27, 2020

बाघ की काली धारियां

बहुत पुरानी बात है चल सभी जानवरों को भगवान ने रंग बांटने का एलान किया सभी को बहुत अच्छे-अच्छे रंग में दिए गए मगर सभी में कोई न कोई कामयाबी उन गुणों के साथ दी गई इसी तरह बाघ को भी पीला रंग दिया गया जिस पर उस समय काली धारियां नहीं थी उसका पीला चटक रंग फुर्तीला शरीर और तेज आंखें सभी एक से बढ़कर एक गुण थे जो उसे बाकी जानवरों से श्रेष्ठ बनाते थे जबकि  सभी जानवरों में अपने अपने गुणों के साथ एक-एक अवगुण भी डाला गया था जिसके साथ हर पक्षी जानवर आत्मसात करके खुशी खुशी संतोष पूर्वक जीवन व्यतीत कर रहा था मगर बाघ  को लगने लगा कि उससे बेहतर भगवान ने कोई कृति बनाई ही नहीं ऐसे में ये उसने अपने आपको सर्व श्रेष्ठ घोषित कर दिया इसी समय एक बार भगवान ने श्रेष्ठ परिचय देने के लिए सभी जानवर और मनुष्य को बुलाया सभी अपने गंतव्य स्थल से रवाना हुए बाघ भी उसी समय अपनी मद में चलना शुरू हुआ रास्ते में उसे जो भी जानवर मिलता उसे उत्साहित और घमंड के साथ अपना बखान करता और आगे बढ़ता जाता जो भी उसका विरोध करता उसे वह नुकसान पहुंचाता जाता ऐसे में सभी उसे उद्दंडता करते हुए देख रहे थे ऐसे ही एक सांपों का झुंड वहां से निकल रहा था वे लोग भी भगवान के बताए हुए स्थल पर पहुंच रहे थे जब उन्हें जब बाघ की बात सुनाई दी तब वे बिना उत्तर दिए वहां से निकलने लगे यह बात बाघ को नागवार पहुंची और उसने सांपों को कुचलना शुरू कर दिया सांप इस बात से खफा हुए और चुपके से किनारे चलने लगे मगर उन्होंने ठान लिया कि वे बाघ को सबक सिखा कर रहेंगे ऐसे में उन्होंने वह सांप जो बाघ ने  मार दिए थे उन्हें धीरे धीरे चलते हुए बाघ के शरीर पर पहुंचकर लपेट थी बाघ इतने आवेग में था कि उसे इस बात का पता ही ना चला जब वह ईश्वर के बताए स्थल पर पहुंचा तो सभी सभासद उसे देख कर मुस्कुराने लगे पीला रंग उसके ऊपर लटकती हुई काली डोरिया उसे बहुत हास्यास्पद बना रही थी उसी समय ईश्वर का आगमन हुआ और बाघ की वस्तुस्थिति जानकर ईश्वर ने उसे कुछ नहीं कहा मगर प्रभु जान गए थे कि बाघ घमंड के साथ रास्ते से गुजर रहा था ऐसे में जब सभी के प्रदर्शन की बारी आई तभी बहुत खुशी-खुशी अपने गुण और अवगुण बता रहे थे मगर जब बाघ की बारी आई तो वह अपने पीले रंग और काली धारियों से अनभिज्ञ हो कर सभा के बीचो बीच अपनी बड़ाई करने लगा मगर सभी उसे सुनकर जोरों से हंसने लगे उस समय बाघ को अहसास हुआ कि कुछ गड़बड़ है और वहां से चुपचाप खिसकने में ही भलाई समझी और दूर जाकर तालाब के पानी में खुद को निहारा तब उसे समझ में आया कि उसकी क्या दशा है हुई है प्रभु के पास आकर इस बात के लिए शिकायत करने लगा मगर प्रभु ने उसे समझाया जो जिस बात पर तुमने घमंड किया वही बात तुम्हारी इस दशा की जिम्मेदार है और तबसे पीले रंग के साथ बाग के शरीर पर कई धारियों की दिखने लगी तो बच्चों इसीलिए कभी भी अपने अवगुण को लेकर दुखी नहीं होना चाहिए और गुणों को लेकर बहुत अधिक घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि घमंड की परिणीति बुरी होती है ।